गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

३. चावल पकानेमें साथ क्या हो

३. चावल पकानेमें साथ क्या हो  

चावलको अन्य कई सब्जियोंके साथ भी पकाया जाता है।
   
नागपूर और पूरे विदर्भ इलाकेमें मूली भात और कद्दू भात पकानेका रिवाज है। इसके लिए मूलीको कद्दूकस करके चावलके साथ ही पकनेके लिए छोड देते हैं।

चावल पक जानेपर उनमें कद्दू या मूलीकी सुगंध जाती है। साथ ही पके चावलके लिए किसे हुए मूली या कद्दूका डेकोरेशन भी हो जाता है।

यही विधी अपनाकर मैं ककडी या खारेके साथ भात बनाती हूँ कभी कभी तरोई, शलगम, बंद-गोभी और टिंडे भी डालती हूँ।

फिर मैं लाल कद्दू- भात और थोडासा नींबूका रस, बीट- भात, गाजर- भात भी बनाती हूँ। कई प्रकारकी फलियाँ डालकर भी बनाती हूँ - जैसे लोबिया, गवार (?), या हरी सीमियाँ (?) शाकभाजी, जैसे पालक, धनिया, पुदीना, और शोपा डालकर भी बनाती हूँ।

    इसके विरुद्ध घरमें कई बार कइयोंने विद्रोह भी किये हैं और कइयोंने खाकर कहा - देखो, हम कितने सहनशील और सज्जन हैं। लेकिन उन्हें अनदेखा, अनसुना करनेमें ही समझदारी और भलाई है। क्योंकि मैं इन प्रयोगोंको स्वास्थ्यवर्धन के साथ साथ सरलताके ज्वलंत उदाहरण मानती हूँ।

    मेरी ननद जो पाककलामें बडी ही माहिर हैं - कुछ अलग स्वीट डिश पकाती हैं। चावलमें जितनी जरुरत है, उससे आधे ही पानीमें अधपका तैयार कर लो। दूसरी ओर बाकी आधे पानीमें अनन्नासके छोटे टुकडे काटकर उबालो और उसमें मर्जीनुसार चीनी भी मिला लो। अनन्नास पक जाये तो पूरा मिश्रण पकते हुए चावलमें उंडेल दो। पकनेपर तैयार है - मीठा अनन्नास-भात।

    यही प्रयोग ऐसे आमके साथ भी किया जा सकता है जिसके टुकडे काटे जा सकते हों। संतरे और अनारके साथ भी बना सकते हैं।

     गर्मीको काटनेके लिये महाराष्ट्र और उत्तरी भारतमें दहीभातको फीका या नमकके साथ खाते हैं।इसमें तेल  होनेसे और दही होनेसे यह ठंडक पहुँचाता हैऔर पाचक भी है। लेकिन दक्षिण भारतीय डिशमें इसपर हिंग राई और लाल साबुत मिर्चका छौंक भी पडता है।

    गर्मी को ही काटने के लिए विदर्भ इलाकेमें उलटा उपाय किया जाता है। वह है वडा-भात। वहाँ भातके साथ वडे परोसते हैं। साथ ही ऊपर से वडेकी कढाईका गरम तेल भी परोसते हैं।
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